शुक्रवार, 8 मई 2015

खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती !


''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ;
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती !
...............................................................
''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती !
............................................................
''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती !
..................................................
''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती !
....................................................

''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;


उसी की बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती !
................................................

''उम्रदराज माँ की अहमियत कम नहीं होती ;


ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''


शिखा कौशिक

8 टिप्‍पणियां:

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहूत सुन्दर
A गज़ल्नुमा कविता (न पति देव न पत्नी देवी )

मन के - मनके ने कहा…

मां खुदा से कम नहीं होती है.
हमारे दुख में हमसे ज्यादा रोती है.
बहुत सुम्दर व भावपूर्ण रचना.
सभी मां को मेरा नमन.

मन के - मनके ने कहा…

मां खुदा से कम नहीं होती है.
हमारे दुख में हमसे ज्यादा रोती है.
बहुत सुम्दर व भावपूर्ण रचना.
सभी मां को मेरा नमन.

Onkar ने कहा…

सही कहा

nilesh mathur ने कहा…

बेहतरीन पंक्तियाँ...

अभिषेक शुक्ल ने कहा…

माँ, दुनिया में सबसे प्यारी है।

Tayal meet Kavita sansar ने कहा…

बहुत सुन्दर