रविवार, 5 अप्रैल 2015

अहंकार और प्यार -लघु-कथा

अहंकार और प्यार -लघु-कथा
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बैंक अधिकारी रजत ने ज्वेलरी की दुकान से डायमंड रिंग खरीदी और इस भाव से भरकर उस पर एक नज़र डाली कि-''कोई भी पति अपनी पत्नी के लिए वेडिंग ऐनिवर्सरी का इससे ज्यादा महगा गिफ्ट नहीं ले सकता !'' रजत घर पहुँचा तो उसने पाया उसकी वाइफ पायल ने आज सब कुछ अपने हाथों से उसके पसंद का बनाया था खाने में . उसने पायल के समीप पहुँच कर कहा -'' हाथ आगे करो ..मैं तुम्हें कुछ गिफ्ट देना चाहता हूँ !' पायल ने सकुचाते हुए हाथ आगे किया तो रजत ने पाया उसकी रिंग फिंगर पर पट्टी बंधी थी .रजत ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए पूछा -'' ये चोट कैसे लगी ?'' पायल मुस्कुराते हुए -'' अरे कुछ नहीं ..ये तो खाना बनाते हुए लग गयी ..आज बहुत दिन बाद आपके लिए कुछ बना रही थी ना ...नौकरों के कारण आदत ही नहीं रही कोई काम करने की !'' रजत ने डायमंड रिंग सकुचाते हुए पायल के आगे करते हुए कहा -'' ये छोटा सा गिफ्ट तुम्हारे लिए .'' और मन में सोचा -''पायल ने चोट लगने के बावजूद मेरे लिए मेरी पसंद का खाना बनाया इसमें उसका प्यार झलकता है और मेरे गिफ्ट में मेरा अहंकार ..उस प्यार के आगे इस मंहगे गिफ्ट का कोई मूल्य नहीं !''


डॉ.शिखा कौशिक 'नूतन'

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (07-04-2015) को "पब्लिक स्कूलों में क्रंदन करती हिन्दी" { चर्चा - 1940 } पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बढ़िया

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अच्छी कथा ...सामयिक