रविवार, 8 दिसंबर 2013

रामलीला-मंच -लघु कथा

किशोरी सुकन्या नानी के घर गाँव आयी हुई थी . गाँव में स्थानीय नागरिकों द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा था .सुकन्या भी नानी के साथ रामलीला का मंचन देखने पहुंची .उसे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि सीता आदि स्त्री पात्रों का अभिनय भी पुरुष कलाकार स्त्री बनकर निभा रहे थे .उसने नानी से पूछा -'' नानी जी यहाँ गाँव में कोई महिला कलाकार नहीं है क्या जो आदमी ही औरत बनकर स्त्री-पात्रों का रोल निभा रहे हैं ?'' उसकी नानी उसके सिर पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोली -'' अरी बावली कहीं की ! रामलीला का मंच बहुत पवित्तर होवै है .औरत जात इस पे चढ़ेगी तो ये मैला न हो जावेगा ...औरते तो होवै ही हैं गन्दी !'' नानी की बात सुनकर सुकन्या तपाक से बोली - '' तो ये औरते यहाँ राम-लीला देखने भी क्यूँ आती हैं .ये परिसर भी तो मैला हो जायेगा नानी जी !!!'' ये कहकर सुकन्या उठी और वहाँ से घर की ओर चल दी .
शिखा कौशिक 'नूतन'

8 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ये सोच बदलनी चाहिए

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (09-12-2013) को "हार और जीत के माइने" (चर्चा मंच : अंक-1456) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

रविकर ने कहा…

बढ़िया-

Asha Joglekar ने कहा…

Is Gandi aurat ne hee to in Achche aadmiyon ko janm diya, pala posa bada kiya fir ye gand na hue?

***Punam*** ने कहा…

काश...हम ये दोहरी मान्यताओं को दरकिनार कर पाते.....!!

virendra sharma ने कहा…


सुन्दर सार्थक सशक्त विचार पूर्ण विमर्श हेतु पोस्ट।

डा श्याम गुप्त ने कहा…

ठीक बात को ठीक तरह से ...दादी को कहना नहीं आया, सीधे -साधे लोग हैं गाँव के..
--- वास्तव में नाटक या मंच में कथा व उसकी अर्थवत्ता से अभिप्राय होता है....स्त्री-पात्र का अभिनय स्त्री या पुरुष कर रहा है इससे कोइ अंतर नहीं पड़ता....
---मूलतः मंडली को विभिन्न स्थानों,दूर-दराज, रात-बिरात आदि में जाना पड़ता है अतः स्त्रियों को अभिनय करने की कोई आवश्यकता नहीं है ....इसी से सारा अनाचार का प्रसार होता है ...फिल्मों के लिए भी यही सच है....हमें कहीं तो रुकना होगा...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

पूनम जी...मान्यताएं दोहरी ही होती हैं....आप बिंदास घूमती हैं बाज़ार में पर मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति जेड सुरक्षा के साथ ..क्यों ...
--- सलमान अपना ऊपरी शरीर निर्वस्त्र करलेते हैं, आप नहीं कर सकतीं ..क्यों